जब हम कोई पेंटिंग शुरू करते हैं तो हमारा दिमाग, शरीर और और मन तीनो एक अलग स्तिथि में होते हैं, हमारा ब्रश अलग तरह से मूव करता है और समय अपनी चाल अलग ढंग से चल रहा होता है। यह एक पल की तरह होता है जो रुकता नहीं बल्कि मूव करते हुए दूसरे पल में बदल जाता है। जब किसी आर्टिस्ट की कोई पेंटिंग बन कर तैयार हो जाती है तो वो जानता है की ऐसा फिर कभी नहीं होगा की वो दोबारा उस पेंटिंग को बना पाए। हो ही नहीं सकता, क्यूंकि फिर वही मन, वही शरीर की स्थिति और वही दिमाग होना चाहिए। आर्टिस्ट समय की तरह होता है कभी भी रुक नहीं सकता, एक बार जो समय चला गया वो फिर नहीं आता और आर्टिस्ट चाहे जितना भी कोशिश कर ले एक बार जो पेंटिंग बन गयी वो फिर नहीं बन सकती। भाव बदलता रहता है, समझ बदलती रहती है और फिर वही भाव और वही समझ लाना नामुमकिन है।
अगर आप आर्टिस्ट नहीं हैं तो शायद आप कॉपी करके एक पेंटिंग को दोबारा बना सकें लेकिन अगर आप आर्टिस्ट हैं तो आप ये बात समझ जाएंगे की आप एक पेंटिंग को दोबारा नहीं बना सकतें। और अगर आप एक ही पेंटिंग को दोबारा बना सकते हैं तो इसका मतलब आप की ग्रोथ रुक चुकी है; क्रिएटिविटी मर चुकी है जो की नामुमकिन है।
हमारी प्रकृति में कोई भी चीज़ एक जैसी नहीं है और पेंटिंग बनाना नेचर के साथ खुद को छोड़ देने जैसा है और नेचर कभी-भी एक स्तिथि में नहीं रहता और यहि वजह है की एक आर्टिस्ट के लिए अपनी पेंटिंग को दूबारा बना पाना नामुमकिन होता है, उसे अपने आप को एक अवस्था में रख पाना मुश्किल होता है और अगर आप अपने आप को एक ही स्थिति में कई दिनों तक रखे हुए हैं तो ये मुमकिन है की आप जो पेंटिंग बना रहे हैं उसे बहुत ही आर्टिस्टिक तरीके से बना लें लेकिन ये कभी नहीं हो सकता की आप उसी अवस्था में दोबारा प्रवेश कर पायें।
जो आर्टिस्ट खुद को पहचान चुके होते हैं वो कभी भी सोच कर पेंटिंग नहीं बनाते उनके ब्रश से अपने आप पेंटिंग निकलती है और जब भी निकलती है वो अलग होती है; ऐसी होगी जैसी कभी नहीं बनी होगी। एक आर्टिस्ट के लिए अलग तरह की पेंटिंग बनाना ज़्यादा आसान होता है बजाए किसी पेंटिंग को कॉपी करने के।
जब हम शुरुआती स्टेज में होते हैं तो ज़्यादातर बार कॉपी करने की कोशिश करते हैं ताकि हम सीख सकें लेकिन जैसे-जैसे बड़े होते हैं वैसे-वैसे हम ये समझने लगते हैं की हमारा कुछ हिस्सा हमारे पेंटिंग्स में छूट जाता है। चाहे हम कितना भी कोशिश कर लें हम अपनी छाप से नहीं बच पाते हैं।
जब भी हम क्रिएटिविटी की तरफ बढ़ते हैं तो हमको पता चलता है की इंस्पिरेशन और कॉपी करने में ज़मीन आसमान का फर्क है। और आर्टिस्ट के लिए हर पल नई पेंटिंग्स निकालना बहुत ज़्यादा मुश्किल नहीं होता, सुबह से शाम उसे सिर्फ अपने पेंटिंग्स के बारे मे सोचना होता है और इस वजह से पेंटिंग निकाल पाना आसान हो जाता है, उसे हर चीज़ से इंस्पिरेशन मिलता है।
जब हम दूसरे आर्टिस्ट्स के काम को देखते हैं तो सोचते हैं की आखिर उस काम की तरह हमने क्यों नहीं बनाया पर अगले ही पल ये बात समझ में आती है की आखिर हमारा काम ही तो हमको एक दूसरे से अलग करता है और अगर मैं किसी और आर्टिस्ट के काम की तरह ही बनाने लगा तो मेरी क्रिएटिविटी का क्या होगा?
क्रिएटिव बने रहने के लिए हमें हमेशा खुद को दुसरों के दिमाग और सोच से दूर रखना चाहिए, अगर हम खुद को दुसरों के आइडियाज से भर देंगे तो हमारा दिमाग ख़राब हो जाएगा, ये काम करना बंद कर देगा और फिर हम अपना वजूद खो कर दूसरे की सोच खुद पर थोप लेंगे और एक आर्टिस्ट को अपना वजूद बनाये रखना बहुत ज़रुरी होता है; उसी से उसकी पहचान होती है।
When we start paintings then our mind, body and brain lie in a different zone, our brushes move in a certain way and time runs in a different style. It is like a moment that does not stop but swiftly changes into another moment. When a painting of an artist is complete; he knows that it is not going to happen again that he can make that same painting in the same way. It will never happen because it requires the same state of mind and body at the same time. An artist is like time which cannot stop moving and as a moment passed and never come; in the same way, an artist cannot paint the same painting in the same way no matter how much he/she try. The emotions and understanding change with time and getting back the same old emotions and understandings which you have during that time is almost impossible.
If you are not an artist then maybe you can copy a painting but if you are an artist then you will know that you can’t copy a painting. And if you can draw the same painting again then it means your growth has been stopped and creativity died which is impossible.
You will find that there is not a single thing in our nature that is the same as any other object and painting is like leaving yourself freely in nature and nature never exist in a single state and this is the reason that an artist cannot draw the same painting again, it is hard for an artist to keep himself in a single state of mind and if you are keeping yourself in that situation then it may help you to make a painting which is very artistic but it is never going to happen that you will paint the same painting on any other canvas with same mind and body.
Artists who have understood themselves are aware of the fact that they never need to think about how to paint but their brush gives birth to the images and paintings; they do not need to think about the way of painting but they only need to paint their emotions. The paintings which born from their brushes will be very different from the other paintings; they will be one of a kind. It is easy for an artist to draw a new painting instead of copying an older one.
When we were in our initial stage we try to copy another artist for learning techniques and basics but as we grow we learn that some of our impressions exist in our paintings even if we copied them. We cannot escape from our impression no matter how much we try.
When we move towards creativity we learn that the difference between inspiration and copying is huge. And it is not hard for an artist to create a painting because they can get inspiration from any object in their life. They can paint what they feel, what they see, or whatever they want to express. The inspiration is unlimited but while copying an artist cannot escape from their own mind.
When I watch other artist’s work then I wonder why didn’t I paint in this particular way but the next moment I understand that my work gives me my identity; it maintains my own existence and if I draw in the same way as other artists then what will be the benefit of my own creativity?
For being creative we need to keep ourselves away from people’s thoughts and minds if we put their ideas in our minds then our brain will start losing its own thought and creativity which will kill our curiosity. It will lead us to a state of mind where we will lose our existence and impressions. It is very important for an artist to maintain his/her impression and existence in their work.
Vikash Kalra is a self-taught artist and writer based in New Delhi whose work has been exhibited across India and is held in several private and corporate collections.