मुझको बड़े कैनवस बनाना अच्छा लगता है।
उसके लिए मेरे को पहले से बहुत तैयारियां करनी पड़ती हैं
बहुत सारी ड्रॉइंग्स करनी पड़ती,
एक बड़ी पेंटिंग बनाना ऐसा होता है जैसे कोई बहुत बड़ा म्यूज़िक लिखा जा रहा हूँ बहुत बड़ा साहित्य बना रहा हूँ
उसमें बहुत सारी टेक्निकल प्रॉब्लम साइज़ के हिसाब से होती हैं
जैसे एक लंबी किताब लिखनी है या लंबा म्यूज़िक लिखना है उसका सुर एक जैसा होना चाहिए
वैसे ही जो बड़ी पेंटिंग होती है उसमे पूरा एक सुर होना चाहिए मतलब की मोशन होने चाहिए।
मैं बड़ी पेंटिंग बनाने में अपने रास्ते ढूँढता हूँ
छोटे-छोटे कैनवस जोड़ के बड़ा बना देता हूँ
जिससे ट्रांसपोर्ट से कहीं भेजने में भी आसानी होती है
जैसे मेरा स्टूडियो छोटा है… उसमें भी आ जाता है,
पेंटिंग बनाने में भी आसानी होती है
मेरे को रखने में भी आसानी होती है।
कोई नई बड़ी पेंटिंग बनाने की सोचता हूँ बहुत सारी चीज़ें अपने साथ इकट्ठा करता हूँ
अपनी ड्रॉइंग्स
अपनी फोटोग्राफ
छोटी-छोटी फोटोग्राफ
अलग-अलग जगह छोटे-छोटे इवेन्ट्स, स्टोरीज्
सब को एक जगह कलेक्टकर के
पेपर पे काम कर के…
कम्पोजिशन ड्रॉइंग करके…
सारी फिलिंगस् को कैनवस पर लेके जाने मे मज़ा आता है।
और फिर पेंटिंग कुछ दिनों तक साथ चलती है उसकी ड्रॉइंग्स कई बार
बदलती है।
कैनवस पर आके धीरे-धीरे कलर चेंज होता है इमोशंस चेंज होते हैं
स्टोरी चेंज होती है
अलग सोच निकलती है
इसको कई घंटों तक देखने मे मज़ा आता है
फिर आख़िर में हमारी सोच अलग तरीक़े की सोचो को निकालती है
एक छोटी रीयल स्टोरी एक फिक्सन कहानी का रूप ले लेती है,
कभी कभी तो एक बड़ी पेंटिंग एक उपन्यास लगती है।
देखने वाले की सोच रोज़ अलग निकलती है हमारी सोच चेंज होती है।
मैं बहुत फोटोग्राफ़ी करता हूँ लैंडस्केप की
और बहुत सारी चीज़ों की जो मुझको अच्छी लगती हैं।
My landscape experience is very special experience
I like space in my work.
मैं देखता हूँ लैंडस्केप को
इस मै पेड़ों के पेडो के बीच की जगह, पेड़ों की टहनियों में उसके पत्तों के बीच का स्पेस , पत्तों के बीच से बादल पहाड़ों का स्पेस ,
पहाड़ों के बीच पहाड़ों का स्पेस जो हमको नहीं दिख रहा वो स्पेस
उसके बाद बादलों में बादलों के ऊपर बादल का स्पेस उसकी अलग से फिलिंग,
पानी के ऊपर पानी का स्पेस
मैं इन सब को टाइम देकर देखता हूँ।
जैसे की मेरे को आपको देखना है तो मैं आपकी पहले उंगलियाँ देखूंगा फिर मैं आप का हाथ देखुँगा फिर मैं आपकी गर्दन देखूंगा मैं आपका चहार देखुगा,
मैं आपको पूरा एक साथ नही धीरे-धीरे देखुँगा,
पहले मैं आपको पाउस हो के देखुँगा
जिससे कि मैं पूरे इमोशन को कलेक्ट कर सकूँ
फिर जैसा मैं फील करूं वैसा मैं पेंट कर सकूँ
क्यों की आंखें तो दिमाग़ का खिड़की होती हैं।
मेरे लिऐ बड़ी पेंटिंग बनाने मै एक स्पेशल feeling है
एक नशे के जैसा है
जो कई दिनों तक चलता है
बग़ैर कुछ बाहरी नशा करे
मज़ा भी आता है
उससे सेल्फ-कान्फिडेन्स बढ़ता है
हाथ खुलता है, इमोशन अच्छे तरीक़े से बाहर निकलते हैं कलर लगाने का नए-नए तरीक़े मिलते हैं
बस बहुत मज़ा है
रोज़ जैसी पेंटिंग बनते-बनते चेंज होती है हमारी स्टोरी चेंज होने लगती है इमोशंस और स्ट्रांग होने लगते हैं
जब मैं अपना बड़ा काम देखता हूँ
शांत हो जाता हूँ
चुप हो जाता हूँ
बहुत सारी यादें जुड़ी होती है उसके साथ
एक तरह से देली डायरी है
मैं अपने हिसाब से देखता हूँ
लोग अपने हिसाब से देखते हैं
मुझको बड़े कैनवस बनाना अच्छा लगता है।
Translation in English:
I like to make large canvas.
I need to be very prepare for this,
Draw lot much for the preparation,
It is like writing a great novel or a great music note
There are many technical problems due to the large size,
It should be consistent like music notes or a great story
And just like musical notes; it should have a tone or a type of motion.
I find my way while painting big canvas,
I make that great canvas with the aggregation of many small canvases,
It also helps me to transport them somewhere,
As my studio is small… it fit into it
It becomes easy to draw,
Easy in keeping them.
I collect lot of things while thinking about large painting
Mine drawings
Mine photographs
Little photographs
Different places, stories, events
Collecting all of them at any little place
After rehearsing on paper…
Drawing composition
I put my all feelings on the canvas with great pleasure.
And for some days painting start moving with me and many times drawing get changed
The colour and emotions get change after striking on canvas
Story gets change
Different thinking germinate.
I love to see my canvas for hours
And then our thinking germinate new kind of thinking
A small real story turns into the fiction
Sometimes a great painting feels like a great literature.
The thinking of the viewer and mine are both differ in all perspective.
I photograph many landscapes and many other things according to my choice.
My landscape experience is very special experience I like space in my work.
I see landscapes
The space between the trees,
The space between the leaves of the stem of the trees,
The space between the leaves to the clouds,
Spaces of the mountains
The space between the mountains of the mountains which we can’t see
After that the space above the clouds which collect different feelings
The space above the water of the water
I watch them all with patience.
As if I have to see you then I will watch your fingers then hands and then your neck…face
I do not watch you whole but very slowly,
At first I will watch you with a pause
So that I can collect all my emotions
And then I can paint what I had feel
Because eyes are the windows of our brain.
I’ve special feelings for the large paintings
A type of drug
Which influence me for many days without any kind of additional drugs,
I enjoy it
It increase my self confidence
Hands get clear, emotions move out of my body with great way, I get different ways of painting colours
I enjoy it a lot
Every day, as the painting get change my story follow it, the emotions get stronger.
When I see my great large paintings,
I get quiet…
Peaceful…
My many memories are connected with that painting
It is a type of daily diary
I see it in my ways
Viewer in their own vision,
I like to make large canvas.
Vikash Kalra is a self-taught artist and writer based in New Delhi whose work has been exhibited across India and is held in several private and corporate collections.