प्रशन 1- Vikash, Painting की दुनिया में काम के मायने क्या हैं ?

Painting मेरे लिए research और experiment के अलावा और कुछ नहीं है | Brush हाथ में लिया और Canvas पर  painting  तैयार हो गयी, ऐसा नहीं होता यार… | painting करने से पहले emotions को इकट्ठा करना पड़ता है, और वो हर जगह से आते है | आसमान से, ज़मीन से,कागज़ के छोटे टुकड़ों से,पास की गुजरती हुई चीज़ों से, मकड़ी के जालों से, सूंदर लड़की से,टूटे हुए बर्तनो से | मेंरा यह मानना है कि अगर किसी चीज़ से painting के लिए emotions मिल रहे है, तो हम भेदभाव क्यों करे …  हमें तो बस सभी अच्छी चीजों को उसमें से ले लेना चाहिए |

Vikash Kalra

प्रशन –  आपने बहुत काम किया है, काफी exhibitions भी करी है | As a Painter आप सही मायनो में अपने असली viewers किसे मानते हैं ?

As a Painter मेरी नज़र में मेरे viewers वही हैं जो मेरे काम की कदर करते है और अपने views को मुझ पर  थोपने की कोशिश नहीं करते | मेरे काम पर अपना प्रभाव डालने की कोशिश नहीं करते ,जैसा मेंरा काम है उसे वैसे ही receive करते हैं ,क्योकि… मुझे ऐसा लगता है की वो जानते हैं की painting करना एक process है जिसे समझना बहुत जरुरी है |

प्रशन 3- आपकी नज़र में एक कलाकार को fulfillment या पूर्ण संतुष्टि कब मिलती है…….. Please थोड़ा समझायेंगे?

 देखिय मेरी नज़र में Artist को पूर्ण संतुष्टि या fulfillment कई stages पर मिलती है ,  यह  एक बहुत बड़ा secret है….. जैसे अगर वो जंगल में walk कर  रहा है तब भी संतुष्टि  मिल सकती है या वो कोई बच्चो  की किताब पढ़ रहा है तब भी मिल सकती है…..यह  समझना जरुरी नहीं है कि artist क्या कर रहा है यह  मायने रखता  है कि वो क्या feel कर रहा है | यह जानना ज्यादा important है कि क्या मैं वही बना रहा हूँ जो feel कर  रहा हूँ ? जैसे मेरे लिए piccaso की anxiety ,souza की irritation ,Van Gogh का गुस्सा और मेरे emotions ज्यादा मायने रखते हैं, यही सब तो असली Drama है बाकी सब तो एक चुतियापा है ( Nonsense है ) | अगर कोई artist एक ही painting को बार-बार बनाये जा रहा है like a photocopy तो उसकी fullfillment का तो  मुझे पता नहीं………

प्रशन 4-  Vikash जी हमें यह तो समझ गया  कि painting के लिए आपको emotions  कहाँ से मिलते हैं,परन्तु हम यह भी जानना चाहते  हैं  कि आपको अपनी paintings के subjects कहाँ से मिलते हैं  ?

देखो मेरे विचारो में एक painting आती है बहुत दूर से,आप कह सकते हो मीलो दूर से ,कभी कभार तो मेरे सपनो तक में दिखाई दे जाती है ,जो मेरी मर्जी के खिलाफ भी होते  हैं,और वह अगले दिन गायब भी हो जाते हैं,इसी वजह से मेरी paintings के subjects बहुत अलग होते हैं, जो लोगो को आसानी से समझ में नहीं आतें क्यूंकि  मेरी paintings कोई object नही हैं वो तो conversation हैं | मेरी paintings में एक line  दूसरी line से बातचीत कर रही होती है जिसका एक अलग ही नशा है, जो नशा museums ,collectors और galleries महसूस नहीं कर सकतीं  | वो लोग तो paintings को अपने घर के कोनो में सजाने और value के हिसाब से ही देखते हैं | लकिन paintings घर के कोनो के लिए नहीं होतीं वो तो बीज ( Seeds ) हैं अगर उसे अच्छी जमीन मिलेगी यानि सही समझने वाला मिलेगा तो वो एक बड़ा और घना पेड़ बन सकती है |

प्रशन 5- Paintings को लेकर लोगो का जो रवैया है, और उसका व्यवसाय करने वालो के बारे में आप क्या सोचते हैं ?

आप देख ही रहे हैं, जो लोग कला को अपना व्यवसाय बना रहे हैं वो लोग झूठे और ढोंगी हैं ,sometimes i feel bad  क्यूंकि हम artists कि गलतियों , कमजोर इरादों और हमारी मूर्खताओं  कि वजह से ही वो हमारा फायदा उठा रहे है | मेरी नज़र में best solution यह हैं की आर्टिस्ट को एक तानाशाह होना चाहिए | तानाशाह से मेंरा मतलब है ” सच्चा “,सच्चाई  अपने काम में  और विचारो में बहुत ही जरुरी है , हमें  demand supply के खेल  में फंस कर अपने काम के साथ जुआ नहीं खेलना चाहिए | हमें वही बनाना  चाहिए  जो हम सोचते  हैं  न कि जो buyers चाहते हैं | किसी भी प्रकार का compromise हमें हमारी कला से दूर करता है | museums ने तो कला को एक मज़ाक बना कर रख दिया है | यह व्यापार कला के नहीं relationship के बलबूते चल रहा है | अगर आप अच्छे दोस्त हैं तो आपकी painting को exhibition के लिए चुन लिया जाता है ,और एक अच्छा सच्चा artist बस लाइन मे खड़ा रह जाता है |

प्रशन 6- As a painter आप सच और झूठ को कैसे define करेंगे और लोगो के समक्ष कैसे परोसेंगे ?

Picasso ने कहा है ” कला एक झूठ है जो कि सच तक जाने का आसान रास्ता है ” मैं यह कहूंगा की दुसरो को अपने झूठ की सच्चाई का  एहसास कराने का तरीका एक artist को आना चाहिए | For example अगर मैं कोई head बनता हूँ तो जरुरी नहीं कि मैं उसे एक head कि तरह ही बनाऊ, art को समझने और समझाने की मेरी अपनी ही एक भाषा है, जिसे आप experiment भी कह सकते हैं, जरुरी नहीं कि अगर मुझे कोई लड़की बनानी है तो में एक लम्बे बालो वाली, ख़ूबसूरत आँखों वाली लड़की ही बनाऊ,  वो तो photography हो जाएगी ,मेरी लिए दो छेद भी एक ख़ूबसूरत चेहरा है , और इसी झूठ में कहीं सच्चाई छुपी हुई है , मेरे हिसाब से यह एक सरल भाषा है- art को लोगो के आगे रखने कि और सच को समझाने कि | कला मे बनावटी पन की कोई जगह नहीं है |

प्रशन 7 – इस सच और झूठ कि लड़ाई का जिम्मेदार आप किसे मानते हैं?

देखिय सर….. कई हज़ारो सालों से हमने अपने आपको कई perceptions में बांध रखा है जैसे आम पीला ही दिखना चाहिए ,निम्बू खट्टा ही होता है और हम उसी हिसाब से कला को भी देखते है | परन्तु कला यहीं  तक सीमित नहीं है यह बात में बोल चूका हूँ ….और मैं इस लड़ाई का जिम्मेदार न ही कलाकार को मानता हूँ और न ही लोगों को, पूरे संसार में कला को specially contemprorary art को कैसे देखना चाहिए वो सिखाया ही नहीं गया है| हम लोगों को पढ़ना , लिखना, बोलना, गाना यहाँ तक कि draw करना भी सिखाया जाता है पर  painting को देखना कैसे है नहीं सिखाया जाता | art history तो पढ़ाई जाती है परन्तु  यह नहीं बताया जाता कि hamen उसे महसूस कैसे करना है |

मेरी हिसाब से painting एक छोटे मासूम बच्चे  कि तरह  देखनी चाहिए, वह यह नहीं सोचता की painting बनी कैसे है वह वही देखता है जो बना है बिना किसी judgement के, बस वो painting को  अपनी मासूम  आँखों से निहारता है और उसका मज़ा लेता है | जैसे हम मज़ा लेते हैं हिमालय पर पिघलती बर्फ का और बारिश के पानी का | art should be receive in the same form जैसे artist ने बनायी है, पर हम तो क्यों ,क्या,कैसे के सवालों मे फंस कर painting का मज़ा ही ख़राब कर देते हैं |

प्रशन 8- तो आप ही बताइए कि painting को लेकर लोगो की understanding  को develop कैसे किया जा सकता है ?

Painting को समझने या समझाने वाले लोग बेवक़ूफ़ होते हैं, जैसे मुझे इंग्लिश नहीं आती तो इसमें सामने वाले कि क्या गलती है,किसी को blame करने कि कोई आवशकता नहीं है, वो मेरी english समझे इसकी उम्मीद लगाना तो बड़ी हास्यपद बात होगी |

आप मेरी एक छोटी सी बात समझे आज हमने इतनी तरक्की कर ली है कि, हम चाँद पर जा सकते हैं, समुन्दर के नीचे चल सकते हैं,हमारे को google से सभी प्रश्नों के उत्तर बहुत आसानी से मिल जाते हैं,परन्तु किसी painting के पीछे जो प्रशन छुपे हैं उनका answer  केवल वो painting दे सकती है for example 2 हज़ार साल बाद भी Monalissa की painting एक रहस्य ही है | कोई उसे pregnant women कहता है,तो कोई कहता है कि वो artist की प्रेमिका थी | अब आज कल तो एक नयी बात सामने आ रही है कि वो एक self poterate है | इसीलिए मैं कहता हूँ कि painting को समझने का कोई formula सेट नहीं है यह तो मन कि बात है दिमाग कि नहीं, painting मे 2 + 2 =4 नहीं होता सर,art को समझने के लिए तो आपको artist का पैजामा पहनना पड़ेगा |

 painting से ज्यादा अगर आप artist को समझेंगे तो better  होगा जैसे हम जब horses कि paintings देखते हैं  तो hussain साहब ही ज़ेहन में आते हैं | इसीलिए artist की journey को समझना बहुत ज्यादा जरुरी है न कि painting के पीछे भागने कि | यही  लोगों में जागरूकता ला सकता है ,अगर आप यही नहीं जानते कि मैं अपना काम करते वक़्त किन परिस्थितियों से गुजर रहा था तो आप मेरे काम को क्या समझेंगे |

प्रशन 9- क्या paint करना है ,आप कैसे plan करते हैं ?

हस्ते हुए, it is very funny जनाब, एक painting पहले से सोच कर या तय करके बन ही नहीं सकती| मैं एक मनमौजी artist हूँ, मैं painting को plan नहीं करता, क्या आपने कभी अपने घर से निकलने के बाद अपना रस्ता नहीं बदला? बस मैं भी यही करता हूँ , मेरी लिए painting एक surprise gift  है पता नहीं जब gift खुलेगा तो उसमें क्या होगा, शायद लोग मेरी painting को ticket लेकर line में देखने आएंगे या नहीं आएंगे यह मेरी लिए मायने नहीं रखता| मैं तो बस एक ऐसा आर्टिस्ट हूँ,जो अगर जेल  में भी होगा तब भी मैं अपने मन मे painting बनाता रहूँगा ,अगर मैं अपने जीवन मे कभी collapse हो गया और wheelchair पर आ गया तब भी मे अपनी unfinished paintings को देख कर अपना जीवन बिता सकता हूँ | मेरे लिए मेंरा काम एक bridge है आपके और मेरे विचारो के बीच में ,अब आप कि मर्जी है कि आप उसे पतली लाइन से जोड़ो या मोटी  लाइन से जोड़ो या सीमेंट से जोड़ो | आप कह सकते हैं कि मेरे लिए painting एक बुरी आदत है ,क्योकि मुझको यही आता है और इसको बनाने कि शक्ति मुझ में कहाँ से आती है मुझे नहीं मालूम ,बस बन जाती है …….

प्रशन 10- एक नए subject पर काम करने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ?

एक नया subject लाना अपने काम में बहुत ही मुश्किल होता है, क्योकि हमारे पास बहुत कम subjects हैं, हज़ारो सालों से लोगों कि ना ही shape बदली है, ना ही behaviour change  हुआ है , माँ बच्चे का प्यार वही है, गरीब दिखाना है तो फटे कपड़े और खाली प्लेट ही याद आती है ,पति-पत्नी उसी तरह  प्यार करते हैं, इसी लिए इन सब चीजों को दिखाने  के लिए वही subject use  करना पड़ता है , बस  हम object बदल सकते हैं जैसे पुरानी  films में देखा होगा आपने दो प्रेमी जोड़ो का प्यार दिखाने के लिए दो फूलो का इस्तेमाल करते थें | आज कल आपने देखा होगा कि एक artist दूसरे artist कि paintings को ही regenerate कर रहे हैं| जैसे artist जो ज्यादातर subject दूसरे artists का उठाते हैं और उसे अपने तरीके से canvas पर उतार कर लोगों के आगे present करते हैं, for example the last supper को कितने artists ने बनाया हुआ है पर सबने उसमे objects बदल दिए हैं  जैसे कि कमरे का design बदल दिया, खाने के items बदल दिए ,लोगो कि positions बदल दी but subject same रखा है.

प्रशन 11- Painting में beginning और finishing कि कितनी important है ?

पहले हम शुरुआत कि बात करते हैं , मैं यही कहूंगा की painting का interest तब तक है, जब तक उसे शुरू नहीं किया जाता ,उसकी शुरुआत होते ही interest ख़तम हो जाता है जैसे ही canvas पर एक बिंदु रख दी जाती है हमारी सारी feelings बाहर आ जाती है और interest ख़त्म….. क्योकि एक artist अपने काम को जीता है, सिर्फ बनाता नहीं है , painting को canvas पर बनाना तो आखिरी step है …….

अब बात करते हैं finishing work  कि तो finished painting एक मरी हुई painting होती है , unfinished painting में ही आत्मा होती है जैसे हम इंसान जब मर  जाते है तो कहा जाता है पुरे हो गए… वैसे ही paintings हैं मेरे लिए | unfinished paintings ही हम से बात करती है  ऐसा नहीं है कि जब हम किसी painting को sign कर देते है या frame कर देते हैं तो painting finish हो गयी उसे तो हमने बस grow होने के लिए छोड़ दिया है , जैसे एक पेड़ … जो वक्त के साथ ही बढ़ता है और फलदार होता है ,क्यूंकि उसी दौरान कुछ ऐसा होता है जो उन्हें grow करने के process को पूरा करता है | वैसे ही जब painting पुरानी होती जाती है उसके रंगो में और चमक बढ़ती जाती है | पर उसको संभल कर रखने का काम हमारा होता है, its a process of give and take.

प्रशन 12 – आपके अनुसार किसी के original होने में कितना दम होता है ?

very simple…. अगर मैं अपना कोई circle बनाता हूँ और वो मेरी लिए दुनिया का सबसे perfect circle है तो में original हूँ क्योकि मैंने उसे दिल से बनाया है | मेंरा यह मानना है कि हमको हर चीज मिल सकती है, पर हमें अपनी personality खुद बनानी पड़ती है , जैसे अगर में कोई spelling गलत लिख रहा हूँ तो मैं उसे ठीक करने कि कोशिश नहीं करता, क्योकि फिर मेरा भाव मर जाता है जो मेरी personality के विपरीत है|

 mistakes से ही मेरे व्यक्तित्व का पता चलता है, इसका मतलब यह है कि हमको अपने नियम खुद बनाने चाहिए, अगर में उन गलतियों को ठीक करने में लग जाऊंगा तो दुनिया के बनाय नियमो में फस कर रह जाऊंगा जिससे मेंरा कोई लेना देना नहीं |

जो लोग  नियमो में  ” जैसे ऐसे ही खाना चाहिए या चलना चाहिए ” में फस कर रह जाते हैं ,वो लोग केवल अपना समय बरबाद कर रहे होते हैं और खुद को धोखा दे रहे होते हैं  मेरे हिसाब से हमको अपनी personality की grammer खुद बनानी चाहिए वही originality है और वही हमारी paintings में दीखता है,  मैं अपने काम में केवल सच्चाई दिखाता हूँ, में अपने काम में कोई चलाकियों का इस्तेमाल नहीं करता, किसी प्रकार के कोई profit के बारे मे नहीं सोचता, बस पूरी energy और enthusiasum के साथ काम करता हूँ,और अब मैंने अपने आप को एक नए आंदोलन कि तरह  जानना शुरू कर दिया है , मज़ा तो तब आता है जब painting बाते करती हैं और यह  तब ही संभव है जब हम दूसरों कि सोच को छोड़ दें और out of the box  सोचें, तभी एक महान painting बनती है और तभी एक original पेंटर का जन्म होता है |

प्रशन 13- हर field में कॉपी और piracy हमेंशा से सिरदर्द रहा है, क्या art world भी इसका victim है ?

जो artist किसी और artist की paintings को कॉपी करते हैं मुझे उनसे कोई शिकायत नहीं है ,क्योकि मुझे  उनके काम में भी एक तरह कि skill और passion देखने को मिलता है,और मैं ऐसे काफी artists से मिलता रहता हूँ. अगर वो कॉपी भी करते हैं तो उसमें उनकी छाप कहीं ना कहीं नज़र आती है |

यह इलज़ाम मुझ पर भी लगे हैं कि में picasso और souza जी को copy करता हूँ,लेकिन ऐसा नहीं है, मैं सिर्फ उनसे inspiration लेता हूँ ,कभी मैं उन से कुछ लेके अपना डाल देता हूँ | हां पर मुझे उन artists से दिक्कत  है जो अपने काम को ही अखबार कि copies कि तरह छापते हैं,यह एक शर्म कि बात है कि वो अपना काम ही repeat करते हैं ,इसे बेहतर तो दुसरो का काम copy कर लो यार  |

प्रशन 14-  क्या एक कलाकार अपने अंदर और बाहर के जीवन से प्रभावित होता है ………और  दोनों का कला के लिए क्या महत्व है ?

( हस्ते हुए ) सच कहूं तो मैं एक शराबी हूँ, जिसे शराब चाहिए ,कौन सी शराब है मुझे उससे मतलब नहीं ” i am a drinker who needs wine, as long as its wine, it doesn’t matter which wine| बात का सारांश यह है की मै हर तरीके कि paintings देखता हूँ, painting अच्छी हो या बुरी मुझे फर्क नहीं पड़ता, फिर चाहे वो कहीं भी लगी हो, मोची कि दूकान पर, restaurant में , या नाई कि दूकान पर |

कला कही भी हो बस मैं बाहर से उसे देखता हूँ और अपने अंदर ले लेता हूँ |

जी, देखिय मुझे यह कहा जाता है की में ज्यादातर women, head, nudes, cigarettes, parties, flowers, landscapes ही क्यों बनता हूँ ? तो आपके सवाल में ही मेंरा answer छिपा है , क्यूंकि मैं अपने आस-पास के लोगों और चीजों से प्रभावित होता हूँ,मैं लोगों के बीच रहता हूँ , उनके साथ मज़ा करता हूँ ,party करता हूँ , मेरे  कई दोस्त हैं जो जुआ खेलते हैं, शराब पीते हैं,नाच गाना करते हैं, वैश्याएं भी आती हैं तो वही सब मेरी painting में आ जाता है …….. इसमें गलत क्या है?  for example गायतोंडे जी seascape बनाते थे क्योकि उनके घर कि window समुन्द्र के तट पर खुलती थी तो वह उसी से परिचित थे |

आप कह सकते हो मैं वही paint करता हूँ जो बाहरी रूप से देखता हूँ और आन्तरिक रूप से महसूस करता हूँ | जो मेरे ज़ेहन और आँखों के आगे है  मैं वही बनता हूँ बिना critics और लोगों  कि परवाह करे| परन्तु मैं यह जरूर कहूंगा कि मैं अपने विचारों के साथ experiment जरूर करता रहूँगा.  मै एक अविष्कार करने वाला व्यक्ति हूँ जो लोगों के opposite सोचता है और अपने paintings में भी कुछ अलग करने कि कोशिश करता है  | में paintings में हमेंशा समानता का लक्ष्य नहीं रखता | जैसे में nature से inspiration लेता हूँ परन्तु उसे painting नहीं मानता, वहां से बस कुछ संकेत लेता हूँ  उसे copy करने कि कोशिश नहीं करता | तो आप कह सकते हैं कि में अपने अंदर और बहार दोनों  ही जीवन शैलियों का अपनी paintings में प्र्योगे करता हूँ |

प्रशन 14- एक artist को अपनी आज़ादी का प्रयोग कैसे करना चाहिए?

आजादी से मेरा मतलब है भावनाओं कि आजादी जिसका प्रयोग एक artist  को बहुत संभल के करना  चाहिए, जैसे अगर वो painting बनाने बैठा और उसने painting बनाने से पहले जो सोचा था अगर उसने उसी circle मे अपने आप को बांध लिया है तो उसने अपनी आजादी का इस्तेमाल नहीं किया, क्योकि वह अपनी ही सोच की जंजीरो मे बंध चुका है | यह skill बहुत ही कम artists के पास होती है कि वो इन ना दिखने वाली जंजीरो से अपने आप को दूर रख सकें | विचार तो बहुत छोटी सी शुरुआत है painting के इस procedure की,बड़ी बात तो यह है की इन विचारों को कब ,कहाँ,और कैसे रोकना है | हमे यह पता होना चाहिए की brush कब नीचे रखना है क्योकि ज्यादा कोशिश भी काम को ख़राब कर देती है| painting should be conventional and effortless.

प्रशन 15एक perfect artist  क्या होता है ?

एक perfect artist कोई नहीं होता, एक perfect printer होता है, मैं यह मानता हू कि यह बहुत ही मुश्किल काम है एक artist  अपने आप को एक ही काम बार-बार करने से रोके क्यूंकि एक artist में perfection कि जो भूख है उसे ख़तम करना बड़ा मुश्किल है |  परन्तु हमे perfectionist होने कि बजाये traveler होना चाहिए कि हम एक canvas से दूसरे canvas तक कि journey मे कहाँ तक गए | evolution is more important than perfection.

मेरे लिए art करना important है न कि उसका possession, मैं कोई खरीदार ना बनकर एक निर्माता बनना चाहता हूँ ,जिससे मेरे मरने के बाद भी मेरा काम मेरा कहलाये जो  मैने बनाया हो न कि खरीदा हो ,जैसे एक माँ का बच्चा उसके मरने के बाद भी उसी का कहलाता है क्यूंकि वो उसे अपने प्यार से सींचती है न कि बाजार से खरीद कर लाती है ,वो पूरी ज़िन्दगी उसके growth पर ध्यान देती है न कि उसके perfect होने पर |

प्रश्न 16- आप जीनियस है या सफल है या दोनों है ,how one can decide ?

artist के लिए सफलता जरुरी है,क्यूंकि हमारे समाज में सफलता से ही कला को जोड़ा जाता है | अगर कोई artist सफल है तो उसका काम /कला भी सफल है | आंकड़ों से ही कला कि पहचान होती है | अगर आप कि पेंटिंग 30000-40000 हज़ार फुट के हिसाब से बिकती है तो आप सफल हैं ,परन्तु मेरे लिए सफलता आंकड़ों कि बजाये अगर artist के attitude से जोड़ दी  जाये तो मज़ा आए जाए | वो artist सफल क्यों नहीं कहलाया जाता जो कभी अपने काम को compromise नहीं करता, किसी भी हालात मे अपने  काम को धोखा नहीं देता, यही एक दुःख कि बात है |

एक बार मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि आप genius तो तभी  कहलायेंगे जब तक आप sucessfull नहीं हैं,आपका परिवार,आपके दोस्त आपके साथ genius वाला behavior तभी तक रखेंगे जब तक आपने पैसे कमाने शुरू नहीं कियें जैसे ही आप successful हुयें उनका और आपका adventure ख़त्म हो जायेगा… यार ये तो boring हो गया और मुझे अपने जिंदगी मे drama ज्यादा पसंद है ना की ठहराव| for example अगर मैने एक painting बनाई और उसमे आसमान का रंग नीले कि बजाये लाल डाला और घास हरी ना बना के काली बनायी तो interesting  होगा और  वो लोगों को ज्यादा attract भी करेगा | आप के बारे में लोगो को सोचने के लिए मजबूर करेगा ,sense of surprise  ही आपको genius or sucessfull दोनों बना सकता है ना कि similar boring choices .

प्रशन 17- आप art exhibitions  कैसे manage  करते हैं?

मैं दुबारा यही कहूंगा sense of surprise or एक experiment के साथ |लोग मुझसे अक्सर यह पूछते हैं की आप का studio और exhibition इतने अलग क्यों हैं? और उसका answer हमेशा एक ही होता है अविष्कार करने की भूख | अब आप  मेरे studio मैं बैठे हैं, आप को सब बहुत raw और original दिख रहा होगा| सही भाषा में आप उसे बुरा भी कह सकते हैं क्योकि हर चीज़ बहुत उधड़ी हुई है  दीवरे नंगी हैं  ,छत का लेंटर भी दिख रहा है, पानी और बिजली की pipelines भी दिख रहीं हैं, but मैं आप से शर्त लगा सकता हूँ की आप जब यहाँ से जायेंगे, आप को ये सब याद रहेगा क्यूंकि ये और  studios से अलग और raw है, वैसे ही मैं कभी अपनी exhibitions  में पौधों का इस्तेमाल करता हूँ ,तो एक बार मैंने live painting भी बनायीं है, उसका मकसद केवल एक ही था की कभी किसी ने ऐसा नहीं किया और मैं अपने viewers को एक असली artist की मुश्किलों और अच्छाईयों दोनों से अवगत कराना चाहता था |

जैसे की जब हम सपने देखते हैं तो हम कुछ ordinary नहीं देखतें, हम कभी देखते है कि मैं पहाड़ी से नीचे गिर गया या मेरी body पर किसी  ने कुत्ते का सर लगा दिया, हमे वही सपने याद भी रहते हैं ऐसा क्यों… क्योकि वो original और हट कर होते हैं, अगर मैं ऐसा ना सोचूं या ना देखूं तो अलग क्या …

प्रशन 18- Paintings मे technique ज्यादा मायने रखती है या emotions ?

मैं अपने carrier मे वहां जाना चाहता हूँ जहाँ मेरे काम मे मेरी भावनाओ की कदर हो ना कि मेरे काम को कैसे बनाया गया है उसे discuss करा जाये |

emotions ज्यादा matter करते हैं ना कि तकनीक.  painting कब ,कहाँ और कैसे बनाई वो important नहीं है, क्या सोच कर बनायी वो important है | emotions ही painting को एक कविता (poem) बनाते  हैं, एक rhythm मे लाते हैं जिससे  लोग जुड़ते हैं और artist को याद रखते हैं | अगर मैं कोई कुर्सी बनाता हूँ  और मैं उसे भावनाओ से नहीं बनाऊ ,उसके रंगो मे कोई गाना या कविता ना हो तो मे किसी कारपेंटर जैसा ही तो हुआ…. मेरी बनाई कुर्सी कि औकात तो उसके संगीत से ही होगी |

वैसे ही मैं अपने काम को technique में फंसा कर किसी mold मे नहीं डालता, क्यूंकि फिर वो केवल एक form बन कर रह जाती  है और एक mold बनने के बाद हर काम उसी shape or size me उतरने लगता है मैं artist कि बजाये एक cake maker  बन जाता हूँ.

for example मै कोई nude  बनाता हूँ , तो मैं उस nude को पूरा सर से पाँव तक नहीं बनाता, nude को केवल breast दिखा के या सिर्फ पैर दिखा के या सिर्फ पेट दिखा के भी बना सकता हूँ | एक  नज़र काफी होती है. हर बार पूरी कि पूरी किताब लिखनी जरुरी नहीं होती, अगर एक कविता कुछ शब्दों के ताल मेल से बन सकती है तो एक painting कुछ रेखाओं से भी बन सकती है | आपने किताबें पढ़ते-पढ़ते कभी यह महसूस किया है की किताब मे कुछ पंक्तिया इतनी प्रभावित होती हैं कि पूरी किताब पढ़ने कि आवशकता ही महसूस नहीं होती |

प्रशन-19 inspiration कितनी जरुरी होती है एक artist के लिए ?

मैं कुछ भी खोजता नहीं हूँ, मैं अपनी paintings मे जितना हो सके उतनी मानवता डालने की कोशिश करता हूँ। परन्तु ये बहुत दुःख की बात है की लोगों ने मानवता को भी एक परिभाषा दे दी है ।

अगर आप अपने आप को एक शीशे मे देख रहे हैं तो चुनने का हक़ भी आपका होता है की आप क्या देख रहे हैं चेहरा ,मेकअप या कुछ और.  तो as a painter मैं यह मानता हूँ की हर पेंटर एक चेहरे को एक विशेष तरीके से देखता है, ये freedom हर  painter के पास होती है की वो उस face में से क्या inspiration ले । picasso हों या souza हर  कोई एक ही चहेरे को अलग अलग तरीके से बनाता  है । जैसे एक औरत को उसका बेटा…. माँ ,बाप…. बेटी,प्रेमी…. प्रेमिका की तरह देखता है परन्तु चेहरा तो एक ही होता है इसीलिए उस औरत की तरफ आपकी क्या भावनाएं हैं वो मायने रखती है ।

प्रशन २० कला मे कितनी संभावनाएं हैं और वो आने वाली पीढ़ी के लिए कैसे प्रेरणा का सोत्र बन सकती हैं,और artist इस समाज के प्रति कितने प्रभावी हो सकते हैं?

कला मे सभी संभावनाएं हैं, चाहे आप उसे संस्कृति से जोड़ें या आप कुछ ऐसा बनायें जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का सोत्र बनें ।जैसे राफेल ने अपने काम को हमेशा शानदार बनाने की कोशिश करी और बाद मे उनके काम संस्कृति और धर्म को समझने के काम आएं।

वैसे ही artist को हमेशा social conscious भी होना चाहिए।  उसे लोगों ने जो प्यार दिया है और समाज ने जो सम्मान दिया है उसे भी अपने दोनों हाथों से समाज और लोगों को वापिस करना चाहिए | अगर समाज मे और हमारे देश मे कोई प्रॉब्लम है तो as an artist हमे उन के बारे मे भी सोचना चाहिए और अपने paintings के माध्यम से उसे लोगों तक पहुंचाने की कोशिश करनी चाहिए । पेंटिंग एक हथियार का काम भी कर सकती है रक्षात्मक  और अकरात्मक दोनों रूपो में। परन्तु इसका मतलब ये नहीं है की  violence या खून ख़राबा या समाज की त्रुटियों को एक violent way मे दिखा कर ही  लक्ष्य को पाया जा सकता है ,जैसे मैं अगर hitler के विनाश और जुल्म  को दिखाना चाहता हूँ तो मैं एक स्टोव draw करके उसपर  उबलता हुआ पानी भी दिखा सकता हूँ |

अगर आपने समाज से कुछ लिया है तो समाज को वापिस भी करना चाहिए । जैसे मैंने एक छोटी सी मुहीम तैयार करी है पूरी दिल्ली मे 1000 हज़ार trees लगाने की ,जरुरी नहीं की मुझे समाज के लिए कुछ करने के लिए politician या समाज सेवी ही होना पड़ेगा  |

जरुरी नहीं अगर कोई चित्रकार है तो वो केवल आँखे रखता है,संगीतकार है तो वो कान रखता है,किसी के दिल के हर कमरे मे गीत है तो कवी ही है और कोई मुक्केबाज है तो सिर्फ muscles हैं, इनके अलावां वो  कुछ भी हो सकते  है । उनके आस पास जीतनी भी घटनाएं घटित हो रहीं हैं वो उन पर  भी अपनी opinion रख सकते हैं और ये opinions किसी भी रूप मे बाहर आ सकती है  गुस्से में, क्रोध में,प्यार में,ख़ुशी में……वैसे ही artist भी एक destructive और constructive दोनों ही ways मे समाज के लिए कुछ कर सकता है  और मैं ये जानता हूँ कोई भी सरकार, संस्कृति,समाज.अनुशासन,मुझे मेरा काम करने से नहीं रोक सकती ।

प्रशन २१ आप पेंटिंग करते वक़्त कैसा वातावरण पसंद करते हैं और पेंट किस लक्ष्य को मन मे रख कर करते हैं?

रही बात environment  की तो मैं अपना काम करते वक़्त मे खुद को  एक एकांत बनाता हूँ, जहाँ ना ही कोई घडी होती है और ना ही फ़ोन जिससे मुझे ना ही वक़्त का पता चले ना ही दिन का |जो भी चीज़ें मुझे नियम मे बांधने की कोशिश करती हैं मे उनसे दूर रह कर अपना काम करने की कोशिश करता हूँ| आप ने कभी किसी संत महात्मा को मैडिटेशन करते देखा होगा , हिमालय के पर्वतों मे वो बिना समय और दिन यहाँ तक की मौसम की परवाह करे बगैर अपना ध्यान लगाते हैं, बस मैं भी वही करता हूँ | मेरे लिए मेरा काम मैडिटेशन है भगवान शिव की पूजा है |

मेरे काम का सिर्फ और सिर्फ एक ही लक्ष्य है लोगों और अपने जीवन को खूबसूरत बनाना फिर चाहे मैं घर के स्टोव को पेंट करूँ,खाना खाने की मेज को, खिड़की या दरवाजे को मेरा लक्ष्य सिर्फ एक है इस संसार को ख़ूबसूरत बनाना|

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