Artist होना एक बीमारी है।
हमको शुरू से सिखाया जाता है की किस तरीके से लाइफ जीनी है, हम वही सब follow करते रहते हैं ।
पर एक समय ऐसा आता है की हम अपनी लाइफ खुद ही ख़राब कर रहे होते है, आपने ही हाथो से।
Past की responsibilities और यादो को छोड नहीं सकते ।
इस सफर में बहुत सारे लोग जुड़ जाते हैं; कुछ बहुत समय तक साथ रहते है कुछ कम समय तक साथ रहते है,
कभी तो ऐसा होता है की ज्यादा समय वाला बहुत कम छाप छोड़ता है लेकिन कुछ लोग कम समय में ही ज़्यादा छाप छोड़ जाते हैं,
और यहीं पर हम फँस जाते हैं और अपना जूता निकाल कर उसका पहन लेते हैं।
किसी के आने या जाने से लाइफ में फर्क पड़ता है-
हाँ पडता है,
और ऐसे में खुद को संभालने के चक्कर में बहुत कुछ बिगाड़ देते हैं।
अगर आप पेंटर हो तो आप उसको अपनी पेंटिंग्स में डालते हैं।
और सामने वाले पर जब आपकी सोच depend हो जाती है तो वही कारण बनता है फसने का। अगर आप एक आर्टिस्ट न हो कर एक आम आदमी हों तो आप move on कर सकते हैं।
लेकिन आर्टिस्ट के mind में, सोच में और color में वो सारी चीज़े आ जाती हैं जो उस के के साथ गुजरी हैं और मुँह मोड़ना मुश्किल हो जाता है।
मेरे साथ ऐ अक्सर होता है, जब फंसता हूँ तो बुरा फंसता हूँ और बड़ी- बड़ी परेशानिया साथ आती हैं। नींद उड़ जाती है, गुस्सा आता है और गुस्से में कुछ गलत निकल जाता है, जो ठीक नहीं है।
अगर हम बीमार हैं तो, हमे पता होना चाहिए की हम बीमार हैं और हमारी बीमारी क्या है,
और उसी बीमारी का इलाज़ करना चाहिए।
अकेलापन दुनिया की सबसे बड़ी बीमारी है। इसका इलाज़ ही अकेलापन है,
मुझको अपने आप के साथ डील करना होगा। अपने आप से दोबारा प्यार करना पड़ेगा। इसमें कोई पार्टनर, कोई किताब, कोई म्यूजिक, कोई आर्ट, कोई क्रिएटिविटी कुछ काम नहीं करेगी; इसमें सिर्फ अपने आप के साथ समय spend करना पड़ेगा… हर भीड़ से निकल कर अपने आप के साथ…
Being an artist is an ailment. People teach us how to live our life since our childhood and we always try to follow them but in our life we come to at a stage where we learn that we are wasting our life. But we cannot abandon our past responsibilities. We met with different kinds of people in the journey of our life; some of them put impression in our life even in very less time but many of them unable to do so even after long time. Due to the impression of the people whom we meet in the journey, we get trap into their attitude; they start influencing our life. We start putting our foot in their shoe.
Our life influence due to the meeting of people and in most cases we ruin our life by trying to make everyone happy. If you are an artist then you put these feelings and influences in your paintings but your thinking start depending upon their opinion which causes no good. If you are a normal then you will be able to move on in your life but if you are an artist then these things start influencing your mind, colours and thinking and it becomes hard to ignore them.
These types of incidents are very common in my life; when I got trap in these types of situations then it become worse and I cannot sleep, become furious and sometime in anger I speak something which I shouldn’t. If anyone is ill then he/she should know that he/she is ill and try to cure that illness.
Loneliness is the greatest disease of this world. And the cure of this ailment is also loneliness; I have to deal with myself. I have to love myself again, in this situation any partner, book or art no one will be able to help me. I will have to spend my time with myself. I have to get out from every crowd…and remain with myself…
Vikash Kalra is a self-taught artist and writer based in New Delhi whose work has been exhibited across India and is held in several private and corporate collections.